अभिषेक का अर्थ होता है स्नान करना या कराना। रुद्र अभिषेक जहां पंचामृत पूजा मंत्रोच्चारण के साथ त्र्यंबकेश्वर भगवान को अर्पण किया जाता है इससे उस व्यक्ति की सभी मनोकामना पुर्ण होती है।
यह अभिषेक समृद्धि प्रदान करता है, सभी इच्छाओं की पूर्ति करता है, यह नकारात्मकता को दूर करता है, नकारात्मक कर्मों को काटता है और जीवन में सर्वांगीण सुख देता है।
पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और चीनी शामिल हैं। यह अभिषेक हमारी इच्छाओं को पूरा करने के लिए, समृद्धि के लिए किया जाता है। यह अभिषेक त्र्यंबकेश्वर मंदिर में पूजा का एक बहुत ही विशेष प्रकार है जो केवल स्थानीय ब्राह्मणों द्वारा किया जाता है
इस जप से उत्पन्न कंपन श्रोताओं का मन भर देता है और उसे उसके मन की शांति प्रदान करता है।
ज्योतिर्लिंग का विशिष्ट पदार्थो से (पंचामृत) अभिषेक करना ही रुद्र अभिषेक होता है।
रुद्र अभिषेक विशिष्ट सामग्री जैसे मधु, दही, दूध, घी (पंचामृत) के साथ श्री शिव लिंग पर मंत्रोच्चारों के साथ किया जाता है।
व्यक्ति के जीवन की हर समस्या को खत्म करना और किसी के जीवन मे खुशियां लाना यह मुख्य फायदा इस अनुष्ठान को करने से होता है।
११ पुरोहितों के साथ त्र्यंबकेश्वर मंदिर मे रुद्र अभिषेक करने के साथ ही रुद्रम सूक्तम का पाठ और रूद्र अभिषेक घर मे करने से अधिक लाभदायी है।
रूद्राअभिषेक करते समय चंपक / पीले चम्पक के फूल का उपयोग न करे, क्योंकि यह भगवान त्र्यंबकेश्वर का अनचाहा फूल है ।
महिलाओं को शिवलिंग को स्पर्श करने की अनुमति नहीं है, लेकिन वे पूजा कर सकती हैं और रुद्र अभिषेक करते हुए शिव लिंग को जल अर्पित कर सकती हैं।
रूद्र अभिषेक करते समय अर्पित किया गया दूध का इस्तेमाल प्रशाद के रूप मे प्राशन किया जा सकता है।